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इस्लामिक मानवाधिकार आयोग ने ब्रिटिश धार्मिक स्थानों में भेदभाव की आलोचना की

15:07 - March 19, 2019
समाचार आईडी: 3473419
अंतर्राष्ट्रीय पैनल - इस्लामिक मानवाधिकार आयोग ने ब्रिटिश आंतरिक मंत्री को लिखे पत्र में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए धन आवंटित करने में भेदभाव की आलोचना की।
इस्लामिक मानवाधिकार आयोग की  जानकारी डेटाबेस के अनुसार IQNA की रिपोर्ट, सैयद साजिद जावेद को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि न्यूजीलैंड में मुस्लिमों पर शुक्रवार को हुए आतंकवादी हमले और उसकी दो मस्जिदों में उपासकों के नरसंहार पर मस्जिदों और इस्लामी स्थलों की सुरक्षा को लेकर चरमपंथी दक्षिणपंथी हमलों के मुक़ाबले पहले से कहीं अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
पत्र में यह भी जोर दिया गया कि 2017 की घटनाओं जैसे कि लंदन में एक मस्जिद पर हमला, कई साल पहले का हमला जिसमें बर्मिंघम में एक कट्टरपंथी दक्षिणपंथी चरमपंथी द्वारा एक मुस्लिम की हत्या कर दी गई थी, और देश के विभिन्न हिस्सों में मस्जिदों के नष्ट होने से इस तरह के हमलों और कार्यों के मुक़ाबले में मुसलमानों और इस्लामी स्थलों की भेद्यता का संकेत मिलता है।
इस्लामिक मानवाधिकार आयोग, जिसका मुख्यालय लंदन में है, मुसलमानों के खिलाफ घृणा के अपराधों की बढ़ती घटनाओं को संदर्भित करता है, और लिखता है कि, इन मुद्दों के प्रकाश में होते हुऐ, आंतरिक मंत्री को विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थानों की सुरक्षा के लिए आवंटित बजट में स्पष्ट असमानता के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।
आगे पत्र में आया है साजिद जावेद ने हाल ही में घोषणा की कि इस वर्ष, पिछले वर्ष की तुलना में 600,000 पाउंड अधिक यहूदी धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए समर्पित है और 14 मिलियन पाउंड तक उसका बजट पंहुचता है हालांकि, अन्य सभी धर्मों के लिए, केवल 2,4 मिलियन पाउंड धार्मिक उद्देश्यों के लिए आवंटित किए गए हैं। इस तथ्य को देखते हुए कि ब्रिटिश मुसलमानों की संख्या यहूदियों की संख्या से दस गुना से अधिक है, इस तरह के भेद और स्पष्ट भेदभाव को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
इस्लामिक मानवाधिकार आयोग ने आंतरिक मंत्री से मांग की कि यह बताऐं देश की पुलिस उन घटनाओं की तलाश क्यों कर रही है जिनमें मुस्लिमों को धमकाया गया या उनकी धार्मिक मान्यताओं के कारण उन्हें परेशान किया गया, स्पष्टीकरण देना चाहिए।
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