अल-मनार के हवाले से,बेरूत उलेमा काउंसिल ने एक बयान में कहा, "इराक के सर्वोच्च धार्मिक प्राधिकरण, अयातुल्ला सैय्यद अली सीस्तानी का अपमानजनक कैरिकेचर का प्रकाशन, समाचार पत्र के नीति निर्माताओं और उन लोगों के मूल्यों को दर्शाता है। जो इस कार्वाई के पाछे हैं वे दूसरों की गरिमा का अपमान करते हैं धार्मिक देशद्रोह, आक्रोश और घृणा का प्रसार और क्रूर हत्याओं में निवेश करते हैं।
इस बयान में कहा गया है: "इस अखबार ने जो किया है वह इराक और विदेशों में सभी मुसलमानों का अपमान है, क्योंकि अयातुल्ला सिस्तानी न केवल एक धार्मिक मॉडल है, बल्कि एक राष्ट्रीय प्रतीक भी है जो देश और इराकी लोगों को तकफ़ीरी देशद्रोह जो राजद्रोहियों द्वारा संरक्षित किया गया था के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
बेरुत उलेमा काउंसिल ने अंत में ज़ोर दिया: "हम किसी भी कारण से, किसी के भी अपमानजनक व्यवहार को स्वीकार नहीं करते हैं, और हम इस अधिनियम की व्यापक निंदा और इस अपमान के अपराधियों से माफी की मांग और इस तरह के जघन्य कृत्यों से उनके त्याग का आह्वान करते हैं।
इसी संबद्ध में लेबनान के हिज़्बुल्लाह ने एक बयान में, सऊदी शासन से संबंद्धित- समाचार पत्र द्वारा इराक़ी धार्मिक प्राधिकरण के अपमान की निंदा की और बल दिया: "इस धार्मिक प्राधिकरण का मुसलमानों में बहुत उच्च मूल्य और स्थिति है, और प्रिय इराक़ की सुरक्षा की धुरी है और इस देश की राष्ट्रीय एकता बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कारक है और उसकी राजनीतिक स्थिरता में शुमार होता है। आईएसआईएस आतंकवाद के खिलाफ उनके प्रसिद्ध फ़तवे ने इस आतंकवादी समूह के चंगुल से देश को मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई।
लेबनानी शियाओं के इस्लामिक सुप्रीम काउंसिल के प्रमुख अयातुल्ला शेख अब्दुल अमीर क़ुलान ने हालिया सऊदी अखबार अल-शर्क़-अल-अस्वत के आयतुल्लाह सीस्तानी के अपमान के जवाब में, अल-शारिक अल-अस्वत के कदम की निंदा करते हुऐ कहा,अयातुल्ला सिस्तानी की स्थिति और दृष्टिकोण इराक़ की एकता और संप्रभुता के संरक्षण की गारंटी है वह इराक में ताकफ़ीरी आतंकवाद को हराने और अपने क्षेत्र पर इराकी सरकार की संप्रभुता के विस्तार का समर्थन करने में एक दाता है।
लेबनान हिज़बुल्ला विधान परिषद के अध्यक्ष शेख मोहम्मद यज़बेक ने भी अल-शर्क़ अल-अस्वत अखबार की अपमानजनक कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में मीडिया आउटलेट हैं जो तोपखाने और विनाशकारी हथियारों से भी बदतर हैं और अधिक नुकसान करते हैं।
अल-शर्क़-अल-अस्वत के कार्टून की निंदा करते हुए उन्होंने कहा: "अयातुल्ला सिस्तानी आतंकवाद और आक्रमण की ताकतों से इराक़ की रक्षा की, और यह न केवल मरजईयत का प्रतीक, बल्कि राष्ट्रीय प्रतीक भी है।"
इसी तरह एक लेबनानी सुन्नी धर्मगुरू शेख अहमद अल-क़तान ने भी मुस्लिमों को विभाजित करने के उद्देश्य से इराक़ के धार्मिक अधिकार का अपमान करने वाला बताया।
क़ौलना वा अल-अमल आंदोलन के प्रमुख ने प्राधिकरण के लक्ष्यीकरण को सभी इस्लामी विद्वानों को निशाना बनाना बताया और इसे इस्लामिक उम्माह के हित में नहीं माना और सभी मुसलमानों, खासकर शिया भाइयों और अयातुल्ला सीस्तानी से तत्काल माफी मांगने का आह्वान किया।