एकना ने फ्रांस 24 के अनुसार बताया कि नरेंद्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के साथ हिंदू चरमपंथी समूह ने और अधिक साहस प्राप्त किया है, और मुस्लिम मस्जिदों के खिलाफ स्थानीय सरकारों और अदालत के फैसलों के समर्थन के साथ, मस्जिदों के स्पीकर और इस्लामी अभिव्यक्तियों को नष्ट करने के लिए इस्लामी हिजाब, यहां तक कि खूबसूरत और ऐतिहासिक इमारत ताज महल पर भी उनकी आंखें लग़ी हुई है।
उनका दावा है कि सभी भारतीय मस्जिदें मंदिरों पर बनी हैं और उन्हें तोड़ा जाना चाहिए।
वर्तमान में सबसे खतरनाक है ज्ञानवापी मस्जिद, जो वाराणसी में कई सौ साल पुरानी है। यह शहर हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र है। इस बीच, हिंदुओं ने पिछले हफ्ते दावा किया कि मस्जिद की गुप्त खुदाई से पता चला है कि शिवलिंग के अवशेष, हिंदू भगवान शिव के प्रतीक, यहा पर पाए ग़ए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी के एक सदस्य कौशल किशोर ने स्थानीय मीडिया से कहा, "इसका मतलब यहां एक मंदिर है।" मुसलमानों को पहले इस मस्जिद की पानी की टंकी से वूज़ु करने से मना किया गया था, और अब खतरा यह भी है कि इस मस्जिद को भी बाबरी मस्जिद के समान ही नुकसान होगा।
हिंदुओं का मानना है कि उनके देश का मुख्य धर्म हिंदू धर्म है और मोगलों और मुस्लिम गोरखाओं से लेकर अंग्रेजों तक सब कुछ विदेशी हैं और उनकी सभी अभिव्यक्तियों को पूरे भारत से मिटा दिया जाना चाहिए।
कुछ समूह ताजमहल, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थलचिह्न है जहां हर साल लाखों आगंतुकों को आकर्षित करता है। इस पर भी नज़र लग़ाए हुए हैं, हालांकि इसका कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि 17वीं सदी की इस इमारत का निर्माण मोगल सम्राट शाहजहां ने शिव मंदिर स्थल पर करवाया था।
रटगर्स यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर ऑड्रे ट्रुश ने कहा, कि "अगर हम मानते हैं कि पृथ्वी चपटी है, तो हमारा दावा करना सही होगा कि ताजमहल एक शिव मंदिर पर बनाया गया था।
जबकि ताजमहल का विध्वंस हिंदू चरमपंथियों के लिए कम से कम एक मात्र इच्छा है, मस्जिदों और अन्य इस्लामी इमारतों के नष्ट होने का भी खतरा है।
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